Wednesday 13 September 2023

अकेले चलना

चला तो मैं अकेला ही था
लोग मिलते गये 
जुड़ते गये
कारवां बढता गया 
सफलता की सीढियां चढता रहा 
ऊंचाई पर पहुँच गया 
जब वहां से नीचे झाँका 
तो सब नीचे ही थे
मैं अकेला ही यहाँ पर पहुँचा 
यह केवल मेरी ही उपलब्धि थी
मेरा ही प्रयास था 
उस पर चिंतन- मनन करने लगा
महसूस हुआ 
अकेले कुछ नहीं होता ।

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