Friday 15 September 2023

मेरी औकात

मुझे लगता है 
लडना मेरा स्वभाव है
मैंने कभी हार नहीं माना
न हार मान कर बैठ रहा 
हाँ थोड़ा विचलित अवश्य हुआ 
वह ज्यादा देर तक टिका नहीं 
बीमार भी पडा 
बिस्तर पर ज्यादा देर तक रहा नहीं 
कुछ समय बाद सामान्य धारा में बहता रहा
मेहनत बहुत नहीं किया 
काम भी  नहीं छोड़ा 
जिंदगी जैसे भी चल रही थी 
चलाता रहा
चलता रहा 
किसी बात का मलाल नहीं 
क्या खोया क्या पाया 
इसका गुणा- गणित करना तो जरा कठिन है
फिर भी जो मिला 
बहुत मिला
ईश्वर का साथ है
यह सदा विश्वास रहा
उससे कुछ ज्यादा मांगा नहीं 
उसने जो दिया 
मेरी औकात से ज्यादा दिया। 

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