Monday 30 October 2023

माँ ही तो समझती है

बिन माँ का बच्चा
होता कितना अभागा 
जो सबसे बडा आशीर्वाद 
जो ईश्वर का प्रतिरूप 
जब वह न हो साथ
उसकी दुनिया कैसे हो आबाद 
पलने को तो पल जाते हैं सब
जीने को भी जी जाते हैं 
घर  में हो या अनाथालय में 
वह बात नहीं होती
पेट भर जाता है
दुध भी बोतल से पिला दिया जाता है
माँ के ऑचल में अठखेलियां करने का भाग्य नहीं 
माँ बिना तो दुनिया वीरान 
कहने को तो बहुत से रिश्ते 
नाल का रिश्ता तो बस एक से ही
कहते हैं न 
स्वामी अगर तीनों लोक का भी हो
माता बिना तो वह भिखारी 
माँ के साये में कभी कोई बडा नहीं होता
माँ न हो तो उम्र के पहले ही बडे हो जाते हैं 
समझदार हो जाते हैं 
जिद किससे करें 
मनाएगा कौन
नाज - नखरे कौन उठाएगा 
ऑखों के ऑसू कौन पोछेगा 
मन की भाषा को कौन पडेगा
बस एक ही तो होती है
जो सब समझती है .

No comments:

Post a Comment