Tuesday 16 January 2024

लेखनी का कमाल

लिखती हूँ मैं 
ताकि संवेदना बनी रहें 
जज्बात जिंदा रहें 
पढना जारी रहें 
सीखना खत्म न हो
भावनाएं समझ सकू 
दूसरों का दुख दर्द साझा कर सकूं 
अपनी ही कहानी नहीं अपने आस-पास की 
घटित घटनाओं की 
मानवीय मूल्यों की 
खत्म होती परंपराओं की
नए विचारों की
अपनी पीढी से दूसरी पीढ़ी जोडने की
मन समझने की 
दुनिया की दृष्टि से देखने की
सृष्टि का कण कण समझने को
अतीत को जिन्दा रखने की 
वर्तमान में विचरण करने की
भविष्य में नाम - पहचान कायम रखने की
सबसे जुडा यह कोमल मन 
जो अपनी लेखनी पर अपने ही इतराता 
खुश रहता 
जिंदा रहने का आसान तरीका 
जब कलम उठती है तब सब गायब
बस विचारों को शब्दों में ढालना
यही तो है लेखनी का कमाल 

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