Saturday 27 January 2024

दौड़ लगाओ

जीवन में दौड़ लगाओ
जितना हो छलांग लगाओ
सफर को आसान बनाओ
गढ्ढे और खाई को लांघ डालो
कीचड़ से मत डरो उससे पार निकल जाओ
धूल उड कर आएंगी 
उसको माथे का गुलाल बना दो
मिट्टी का शरीर 
मिट्टी से क्या घबराना 
कर्म करना है तो डरना क्यों 
रूकना क्यों 
मन में दृढ़ निश्चय हो
मंजिल मिल ही जाएंगी 
मंजिलें भी तो उसी की
जिसको जीवन के समुंदर में तैरना आता हो 
किनारा उससे कैसे दूर रहेंगा
जिसने कर्म की पतवार थाम ली हो ।

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