Tuesday 12 March 2024

गृहिणी को सलाम

ऑखों में ऑसू 
हाथ में भोजन
दोनों ही प्रेम से परोसती
ऑसू सच्चे 
भोजन सुस्वादु 
नहीं इनमें कोई मिलावट
यही तो यह नारी की पहचान 
घर को संवारती 
प्रेम से महकाती 
आनंद की अनुभूति कराती
प्रेरणा देती आगे बढने का
हर समस्या सुलझाती 
किसी पर ऑच न आने देती 
सब कुछ झेलती पर उफ न करती
मुस्कान चेहरे पर बिखेरे
सबको संवारे
यही तो घरनी 
बिना इसके तो घर नहीं 
परिवार नहीं 
और तो और संसार भी नहीं 
न जाने कितने रूप हैं इसके
हर रूप स्नेह - प्रेम से पंगा
संसार की धुरी संभाले हुए
हर गृहणी को सलाम 

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