क्या हारा क्या जीता
यही कश्मकश में उलझे हैं सब
जरा मूल्यांकन करो
अपनी कमियों को देखो
अपनी उपलब्धियों पर भी नजर डालो
सब स्पष्ट हो जाएंगा
बहुत सरल है यह गणित
कुछ ध्यान करो
कुछ नजरअंदाज करो
पूर्णता तो कहीं नहीं
जो कल था वह आज नहीं
जो आज है वह कल नहीं
यह चक्कर चलता रहेगा
कर्म में रत रहकर ही जीवन चलता है
चलते चलते न जाने कब रूक जाता है
न जाने क्या - क्या खो जाता है
न कुछ लाएं थे न ले जाना है
अपनी मर्जी से क्या होता है
होता वही जो मंजूरे खुदा होता है
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