तब तक जब तक तेल था मुझमें
जी भर जला
जितना प्रकाश था भरपूर दिया
अब खाली पड़ा हूं
बच्चे शायद एक - दो दिन खेल ले
बाद में कचरे के ढेर पर
इसका मुझे कोई मलाल नहीं
जीया तब तक जी भर
अपने जीवन को सार्थक समझ रहा हूं
उजाला देता रहा
अंधेरा दूर भगाता रहा
खुशियां बांटता रहा
वैसे भी सबको यहां से कभी न कभी जाना है
मिट्टी में मिलना ही है
मैं तो मिट्टी से ही बना हूं
किस बात का मलाल
जहाँ से आया वहीं जाना है
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