Tuesday 15 July 2014

AAJ KI SHIKSHA !!!

गुरु पूर्णिमा , गुरुओं के आदर - सम्मान का दिन , पर आज के गुरु यानी शिक्षक की स्तिथि क्या ? 
उसकी हैसियत एक सरकारी नौकर के अलावा कुछ नहीं। वह न बच्चो को डाट सकता है न उन्हें कोई दंड दे सकता है। छात्रों में भी अनुशाशन हीनता बढ़ रही है। वह शिक्षको से वाद - विवाद करने से भी नहीं चूकते। अच्छा बनने के लिए कुछ कड़वी दवा घुट पीना भी जरूरी है। शिक्षा व्यवसाइक हो कर रह गई है। शिक्षक सोचता है मुझे क्या करना है , अपना काम पढाना , वेतन मिलता है इससे ज्यादा कुछ क्यों करू। माता - पिता भी बच्चो से कहते है मुफ्त में नहीं पढ़ाते है , ज्यादा हुआ शिकायत कर देंगे। ऐसे में बच्चो को भी लगता है शिक्षक कोई हम पर उपकार थोड़े ही कर रहा है।  अतः गुरु - शिष्य में दूरिया बढ़ रही है। सम्मान और प्रेम का संबंध ख़त्म हो रहा है। इस नजरिए  बदलना होगा। शिक्षक और छात्र दोनों का अटूट नाता है। जीवन की बुनियाद ही छात्र जीवन में होती है , अतः छात्र को शिक्षको का सम्मान और शिक्षको में प्रेम एवं ज्ञानदान की ज़िम्मेदारी का एहसास जरूरी है। 


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