Tuesday 28 July 2015

क्या मैं सही न्याय कर पाता हूँ?

मैं न्यायालय हूँ,मेरे दर पर लोग न्याय मॉगने आते हें
पर क्या हमेशा न्याय सही होता है?
न्याय की देवी की ऑखो पर पट्टी बंधी है
न्याय मे पक्षपात नहीं होना चाहिए.
एक हो दोष के लिए किसी को फॉसी ,किसी को आजीवन कारावास तो कोई जमानत पर छूटना
कभी कभी सत्य जानते हुए भी मैं कुछ नही कर पाता
सबूतो और वकीलो की जीरह पर सब निर्भर करता है
कभी निरपराध को भी सजा हो जाती है

इन सबके बावजूद लोगों का विश्वास मुझ पर कायम है
बडे बडो को सलाखो के पीछे और फॉसी के तख्ते तक मैने पहुंचाया है
अपनी तरफ से मैने न्याय देने की पूरी कोशिश की है
चाहे समय और युग कोई भी रहा हो

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