Tuesday 26 April 2016

भीख मॉगने की अपेक्षा बार में डान्स करना अच्छा

कुछ नियमों को पूर्ण न करने के कारण बार डान्स को परवाना न देनेवाले महाराष्ट्र सरकार को उच्च न्यायालय ने कठोर शब्दों में चेतावनी दी है
महाराष्ट्र के दिवंगत नेता आर आर पाटील ने यह कानून लाया था और महाराष्ट्र के डान्स बार बंद हो गये थे
उसे फिर से लाने के लिए इन लोगों ने लंबी लडाई लडी और वे जीते भी पर कुछ नियम लागू किए गए
बार डान्स बंद होने पर बार बालाओं की भूखमरी की नौबत आ गई
कितने तो यहॉ से दूसरे राज्यों में पलायन कर गई
बार मालिकों ने कोर्ट की शरण ली
पर यहॉ उसके दूसरे पहलू पर भी विचार करना है
न जाने इन लोगों के कारण कितने घर बर्बाद हो गए
एक ही रात में लाखो- करोडो रूपए लूटाए जाने लगे
अपराधियों का अड्डा बन गया इसलिए पाटील को यह निर्णय लेना पडा थाऔर तब उसका जोरदार स्वागत भी हुआ था
वैसे नृत्य की परम्परा कोई नया नहीं है
राजा- महाराजाओं के यहॉ नृतकियॉ होती थी
समय बदला ,नौटंकी आई
राजकपूर की अभिनित तीसरी कसम.  फिल्म इसी पर आधारित है
अपना हुनर ,कला के माध्यम से जीना
फिल्म भी इसी का सुसंस्कृत रूप है
जब डॉस बार बंद हुए तो किसी के अच्छा हुआ कहने पर दूसरे दोस्त ने कहा था
ये हैं तभी दूसरी औरते सुरक्षित है
बात तब समझ में नहीं आई थी ,पर बाद में आ गई
ये डॉस कर रोजी- रोटी कमाए पर किसी का घर न उजाडे
मुंबई में कमाठीपूरा की गलियों में ग्राहकों को आकर्षित करने की अपेक्षा बार में डॉस करना ज्यादा उचित है
पर मर्यादा में रहकर
बार मालिकों और बार में जाने वाले भी मर्यादित हो
किसी की मजबूरी का गलत फायदा न उठाए
पेट और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए शायद इन्हें ये करना पडता है
इसलिए सर्वोच्च न्यायालय को भी हस्तक्षेप करना पडा

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