Thursday 7 April 2016

चलो दर्द और गम के गीत गाए

खुशी के गीत तो सब गाते हैं पर गम का कोई नहीं
दर्द ही है जो जीवन से परिचय करवाता है
रिश्तों और अपनों से पहचान करवाता है
स्वार्थ और कपट के मायाजाल को समझाता है
कॉटों के बिना फूलों का भी महत्तव नहीं
गुलाब राजा है क्योंकि कॉटों की सेज पर बैठा है
जीवन ,दर्द और ईश्वर का नाता तो पुराना है
दर्द ईश्वर के करीब ला खडा करता है
मानवता ,इंसानियत ,प्रेम को समाएं रखने की कला जानता है यह
दर्द का रिश्ता तो मॉ के गर्भ से ही शुरू हो जाता है
मॉ औ बच्चे का अमिट रिश्ता इस दर्द की ही देन है
दर्द में भी कुछ बात है
दुख ,दर्द ,पीडा बिना तो जीवन नीरस
सुख के साथ दुख
खुशी के साथ गम
वसंत के साथ पतझड
दिन के साथ रात
यह तो प्रकृति का चक्र है
खुशी और गम को साथ -साथ अपनाना है
खुशी में गर्व नहीं ,दर्द में निराश नहीं
बस जीवन के गीत गाते चलना है
चाहे वह दर्द का ही क्यों न हो

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