Monday 20 June 2016

जिंदगी की गाडी ऊपर वाले को चलाने दे

हम कहीं घूमने जाते हैं दो- चार दिनों के लिए
न जाने रास्ते में कितनी समस्याएं आ जाती है
कभी गाडी का पेट्रोल खत्म तो कभी गर्म
तो कभी किसी कारणवश बिगडना
कभी खड्डे में चले जाना तो कभी हिचकोले खाना
गाडी को संभालने का और बनाने का काम चालक का
सब कुछ उस पर छोड ,पूरे भरोसे के साथ
यह मंजिल तक तो पहुंचाएगा ही
हम झपकी भी ले लेते हैं ,हँसते भी हैं
गाना भी गाते हैं ,पूरे सफर का ऑनंद लेते हैं
जिंदगी तो इतना बडा सफर है
न जाने कितने सालों का.
इस सफर में भी तमाम मुश्किले आती है
कभी बारीश ,कभी गरमी ,कभी कपकपाती ठंड
पर वसंत का भी आगमन होता है
सब हम सह लेते हैं
तो फिर सोच और चिंता किस बात की
ऊपर वाले को जिंदगी की गाडी चलाने दे
आपका सफर भी आसान
और विश्वास रखिए
वह तो पहुँचा ही देगा
रास्ते की जानकारी उसे है ,हमें नहीं

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