Friday 21 October 2016

अभिभावक और असामान्य बच्चे

सडक पर दो- चार लोग खडे तमाशा देख रहे थे
एक बच्चा बीच राह में खडा जोर- जोर से चिल्ला रहा था ,हाथ- पैर पटक रहा था
मॉ धीरज धर बिना झल्लाए उसे मना रही थी
किसी की भीड में से आवाज आई
दो थप्पड लगाओ ,ठीक हो जाएगा
इतना सर पर चढाना ठीक  नहीं
पर वह बच्चा सामान्य नहीं असामान्य था
मॉ विवश ,लाचार और दुखी थी
फिर भी झंझलाहट की बजाय चेहरे पर मुस्कराहट से उसे मनाने का प्रयास कर रही थी
मॉ की इस धीरता और मजबूती को दाद देना होगा
यह किसी एक दिन की बात नहीं
हर दिन ,हर पल उसको इन सब से जूझना पडता होगा
खाने से लेकर पाठशाला तक
छोटी - छोटी क्रियाकलापों से भी
तब भी वह टूटी नहीं बल्कि शक्तिशाली बन
लोगों की हँसी और ताने भी झेल रही है
उसका बच्चा उसके लिए बहुत विशेष और अमूल्य है
यह बात तो केवल मॉ ही समझ सकती है
दूसरे कैसे जानेगे

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