Thursday 8 December 2016

मेरी आंकाक्षा

मैं नहीं चाहती कि सारा आकाश मेरी मुठ्ठी में हो
मैं यह भी नहीं चाहती कि क्षितिज मेरे सामने बॉहे फैलाए खडा हो
हॉ यह जरूर चाहती हूँ
कि मेरे बच्चों को उडने की शक्ति दे
व्यवस्थित घर - संसार ,जीवन का निर्माण हो
जब भी मेरे कदम डगमगाए
उन्हें इतनी शक्ति देना कि वह अपनी जडो को पकडे रहे
जब भी कमजोर पडू ,मन को आश्वस्त करना
जब भी डर लगे ,निर्भयता का वरदान देना
दुख के क्षणों में भी मैं घबराऊ नहीं
बल्कि डटकर उनका सामना करू
दुख और संघर्ष से मुझे मुक्ति मिले
यह मेरी कामना नहीं
दुखों और संघर्षों का हँसकर मुकाबला करू
इसी आशिर्वाद की अपेक्षा है ईश्वर से

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