Thursday 28 June 2018

कर्ण

महाभारत का युद्ध चल रहा था
कृष्ण अर्जुन के रथ पर सवार थे
सारथी भगवान ही थे
कर्ण अर्जुन के रथ को कुछ ईंच पीछे कर रहे थे
तब श्रीकृष्ण उनको वाह कर्ण कहते थे
यह बात अर्जुन को नागवार लग.रही थी
उन्होंने कहा कि मैं कर्ण को इतना पीछे कर रहा हूँ
पर आप मेरी प्रशंसा नहीं करते
और वह सूतपुत्र कुछ ही इंच पीछे कर रहा है
तब भी
कृष्ण ने जवाब दिया
पार्थ , तुम्हारे रथ पर हनुमानजी सवार हैं
मैं तुम्हारे रथ का सारथी हूँ
तुम तो केवल कर्ण को पीछे कर रहे हों
पर वह तो तीन लोक के स्वामी को पीछे कर रहा है
तो यह.थे महाबली -दानी कर्ण
सूतपुत्र होने का दंश उन्हें आजीवन सहना.पड़ा
माता कु़ंती ने मां होते हुए भी कभी पहचाना नहीं
पहचाना तो अपने बेटों के जीवन दान के लिए
वे राजमाता होने के बावजूद असहाय बनी.रही
समाज का डर , राजकुल की मर्यादा वे पार नहीं कर सकी
उनकी विवशता का दंश कर्ण को सहना पड़ा
जाति हावी थी एक.वीर की वीरता पर
कुंवारी मां के गर्भ से जन्म लेना
यह किसी को स्वीकार नहीं होता
यह विडंबना ही थी
और इन विडंबनाओं के बीच कर्ण जीवन भर झूलते रहे

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