Wednesday 2 January 2019

जब तक सांस तब तक आस

नये साल मे नया क्या है
हम भी वही तुम भी वही
यह साथ भी वही
यह घर भी वही
रास्ता भी वही
लोग भी वही
पड़ोसी भी वही
फिर बदला क्या है
कुछ भी तो नहीं

हाँ बदलाव जरूरी है
आशा नयी
उमंग नयी
इच्छाएँ नयी
जो नहीं हुआ
वह शायद इस वर्ष हो

तभी तो नववर्ष का खुशियों से स्वागत करते हैं
आशा और विश्वास को जिंदा रखना है
जिंदगी का दस्तूर ही यही है
जब तक सांस है तब तक आस है

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