Tuesday 26 February 2019

तब तो कोई बात हो

हवा के साथ साथ चले
यह हमें गंवारा नहीं
हवाओं का रूख बदल दे
उसकी दिशा को मोड़ दे
तब तो कोई बात हो
दिन को दिन
रात को रात
सभी कहते हैं
हम अंधेरे मे भी उजाला कर दे
तब तो कोई बात हो
मिट्टी मे फूल खिलते हैं
हम पत्थर मे भी फूल खिला दे
तब तो कोई बात हो
वसंत का मौसम तो सुहावना होता ही है
हम पतझड़ को भी वसंत बना दे
तब तो कोई बात हो
परम्परानुसार तो सभी चलते हैं
हम नयी परम्परा शुरू कर दे
तब तो कोई बात हो
लीक पर तो सभी चलते हैं
भेड़चाल तो आदत मे शुमार है
हम अपनी अलग राह चुने तो कोई बात हो
तूफानों से डरे नहीं
उससे भिड़ जाय
तब तो कोई बात हो
हर क्षण हर पल डरे रहे
निर्णय लेने मे हिचकिचाते रहे
बेपरवाह हो करें
जो होगा वह देख लेंगे
तब तो कोई बात हो
दुनिया क्या कहेगी
लोग क्या कहेंगे
इस किस्से को खत्म करें
तब तो कोई बात हो
मजबूरी को छोड़ मजबूती अपनाएं
जिंदगी को अपने अनुसार बनाए
तब तो कोई बात हो

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