Monday 25 February 2019

शहीद का बेटा

मासूम पिता के शव के पास बैठा है
समझ नहीं पा रहा है
हो क्या रहा है
सब क्यों रो रहे हैं
तिरंगा पापा के शरीर पर क्यों लिपटा है
इसे तो फहराया जाता है
मौत क्या होती है
वह अनभिज्ञ है
शहीद कौन होते हैं
वह उसे मालूम नहीं
बस पापा की गोद मालूम थी
वह इतना क्यों सो रहे हैं
उठ क्यों नहीं रहे
उनके आसपास इतने लोग क्यों जमा है
उन्हें फूलों की माला क्यों डाली गई है
पापा तो बोलकर गए थे
जल्दी आएंगे
पर इतनी जल्दी तो कभी नहीं आते थे
कितना खुश हुआ कि
पापा आ गए हैं
पर यह तो सो रहे है
शायद यह नहीं पता कि
वह हमेशा के लिए सो गए हैं
अलविदा कह गए हैं
भारत माता के लिए कुर्बान हो गए हैं

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