Friday 28 June 2019

मोहब्बत कैसी हो

मोहब्बत मन से हो
मजबूरी में नहीं
उसमे शर्त नहीं
समर्पण हो
स्वार्थ नहीं
निस्वार्थ हो
संकुचित नहीं
विशाल हो
अविश्वास नहीं
विश्वास हो
मजबूत हो
कमजोर नहीं
दिल से हो
दिमाग से नहीं
पवित्र हो
कामना रहित हो
त्याग हो
जिससे मोहब्बत
वही दुनिया - जहान हो
यह इकतरफा नहीं
दोनों का मन मिलाव हो
बिना मिलावट हो
ताजा-तरीन हो
क्षण भर का न
जन्मों का हो
मोहब्बत से ही तो दुनिया है
इसलिए मोहब्बत
किसी की मोहताज न हो
सारे ब॔धन से परे
अपने आप में बेमिसाल हो

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