Saturday 26 October 2019

पटाखे उडाते समय सोचे

फट फट पटाखे
फट फट बज रहे
धुआं धुआं कर रहे
नाक और ऑखों में जा रहे
दम घुटा रहे थे
कुछ दूर खडे आनंदित हो रहे थे
कुछ बच्चे उछल रहे थे
कुछ ताली बजा रहे थे
कुछ भाग  रहे थे
कुछ खांस रहे थे
कुछ बुजुर्ग भी अडोस पडोस में
खिड़की - दरवाजे बंद कर रखे थे
यह आवाज और प्रदूषण सहन नहीं
किसी के लिए त्योहार
किसी के लिए जानलेवा
त्यौहार ऐसा हो
बच्चे और बुजुर्ग दोनों प्रसन्न रहे
बच्चे तो बच्चे ठहरे
पर सोचना उनके बडो को है

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