Tuesday 22 June 2021

बचपन था तब

छोटे थे मासूम थे
कभी मार पडती थी
कभी डांट खाते थे
कभी गिर पडते थे
रोते थे
चुप भी हो जाते थे
कभी खिलखिला कर हंसते थे
बचपन था तो बचपने भी था
एक ही क्षण में सब भूल जाते थे

बडे हो गए
तब बचपन नहीं  रहा
यहाँ वह हंसी नहीं  रही
वह मासूमियत नहीं  रही
दुनिया दारी में  सब खो गई
अब कुछ  भूलता नहीं
भुलाने की  लाख कोशिश  हो तब भी

बचपन की बात ही कुछ और है
काश सब भूल जाते
कुछ दिल पर न लेते
रोते - रोते हंस देते

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