Tuesday 22 June 2021

मैं एक जोकर

वह जोकर नहीं था जोकर बना दिया गया
बचपन से बौनेपन की जिल्लत सहते बडा हुआ
सब साथी बढते जाते
वह देखता रहता
मन मसोसकर रह जाता
माता - पिता भी मायूस
उनका दुख देखा नहीं जाता था
चेहरे पर मुस्कराहट बिखेरता रहता
अंदर ही अंदर रोता रहता था
आसमान की तरफ ऑखे उठाकर एकटक ताकता रहता
कहीं  ईश्वर दिख जाएं तो पुछू
मैंने क्या गुनाह किया
एक साधारण सा इंसान भी नहीं  रहा
एक सामान्य सा शरीर भी नहीं मिला
समाज में कोई सम्मान नहीं
उपेक्षित सी नजरें
वह सह नहीं  सकता
सोच लिया
अब जोकर ही बन जाऊंगा
विदूषक बन कुछ तो करूगा
लोगों के  चेहरे पर मुस्कान ले आऊंगा
हंस ही ले लोग
खुश हो ले लोग
बच्चों की  तालियां तो गूंजेगी
हंसी तो बिखेरूगा
यही क्या कम  होगा
जहाँ लोग हंसी भूल गए हैं
मुझे देख हंस तो लेंगे
कम से कम यह तो कहेंगे
क्या कमाल का जोकर है
करतब दिखलाऊगा
मनोरंजन करूंगा
कुछ न करने से कुछ करना बेहतर
छोटी सी जिंदगी
छोटा सा मैं
कुछ तो दिलों में याद छोड़ जाऊंगा।

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