Sunday 26 September 2021

डर लगता है

बेटी होना अभिशाप नहीं
समाज का नजरिया अभिशाप है
बेटा होना कोई वरदान नहीं
बेटी , बेटों से आगे हैं
नारी शक्ति का जमाना है
फिर भी मन में एक डर समाया है
कहीं कोई ऊंच- नीच न हो जाएं
तब दुनिया क्या कहेगी
समाज क्या कहेगा
यह तो जीने नहीं देगा
बेटा देर रात घर से बाहर रहें
तब इतना डर नहीं
जितना बेटी होने के कारण
भले वह काम से ही हो
हमेशा ऊंगली औरत पर ही उठाई जाती है
गलती उसकी हो या न हो
इज्जत की दुहाई भी उसी से दी जाती है
सबका ठीकरा उसी के माथे पर
तभी तो डर लगता है
बेटी के पालक होने पर।

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