Friday 17 September 2021

भूले कैसे ??

कुछ घाव और अपमान
भुलाएँ  नहीं भूलते
समय की धारा से भी वह नहीं बहते
जकड़ कर धरे रहते हैं सालोसाल
मिलना फिर वैसा नहीं हो पाता
नजरें छुपाकर , सिर झुका कर
कुछ भी कर लो
कितना भी यतन करों
वह फोडा बन रिश्ता रहता है
कभी-कभी सुख जाता है
फिर कोई कुरेद देता है
फिर हरा भरा हो जाता है
जख्म ताजा हो जाता है
मन मस्तिष्क में लहलहाने लगता है
कितना भी सूखा पड जाएं
कितनी भी बाढ आ जाएं
उस पर सभी कोई असर नहीं होता
न वह सूखता है
न वह बहता है
जरा सा उधेड दो
फिर वही
क्या करें
कैसे करें
न देने वाला भूलता है
न लेने वाला भूलता है
कितना भी जतन करों
कोशिश करों
बहुत बडे दिल वाला होगा वह
जो कोई भूल जाए
जो धागा टूट गया
उसे जोड़ो तो गांठ पड ही जाएंगी  ।

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