गर वो न होते तो हम न होते
होते तो जो आज हैं वह हम न होते
न जाने कितनों ने कितना कुछ सिखाया
ढूंढ ढूंढ कर कमियाँ निकाली
लोगों के बीच में मजाक उडाया
हर कमजोरी को जान बूझ कर कुरेदा
जो कुछ काबिल नहीं थे
वह भी हंसे
बहुत खिल्ली उडाई
हम भी कहाँ कम थे
जबान से तो कुछ नहीं कहा
क्योंकि यहाँ हम कम पड जाते थे
पर अपने को साबित किया
यह महसूस कराया
तुम कहाँ और हम कहाँ
हमारी तो तुमसे तुलना ही नहीं
तुम लोगों का एक ही काम
हमारे पास बहुतेरे काम
फुरसत नहीं है गप्पबाजी की
झूठ को सच बताने की
किसी पर ऊंगली उठाने की
हम वो हैं
जो आपकी पहुँच से बाहर है
हमें समझना आप के बस की बात नहीं
एहसान है फिर भी
गर वो न होते तो
जो आज हम हैं हम न होते ।
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Saturday 18 September 2021
जो आज हम हैं हम न होते
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