Thursday 12 May 2022

कालचक्र

आज जब समय कुछ नासाज है
तब लगता है
हमारी आवश्यकताए क्या है
सबसे बडी प्राथमिकता पेट भर भोजन
रहने को छत
पहनने के लिए कुछ कपड़े
घर में है
इसलिए ताम झाम नहीं
जीवन सरल और सादा भी हो सकता है
सब कुछ बटोरता है 
साथ कुछ नहीं ले जाता
सब यही रह जाता है
यादें भी धीरे-धीरे धूमिल पड जाती है
दिन  , महीने और ज्यादा हुआ तो कुछ वर्षों तक
अपनों को छोड़कर
पर वहाँ भी जब नई पीढ़ी का प्रवेश होता है
तब उनको उससे कोई सरोकार ही नहीं
क्योंकि वे उस इंसान से अनभिज्ञ होते हैं
उन्हें क्या मतलब किसने क्या त्याग किया
समय के साथ तो सत्य की परिभाषा भी बदल जाती है
आज गाँधी और नेहरू पर भी ऊंगली उठाई जा रही है
वे कितने साल जेल में रहे
क्या क्या किया
वह कोई मायने नहीं
और यह केवल एक की बात नहीं
पूरे विश्व में ही है यह नजरिया
दीवार टूटी
मूर्ति ढहा दी गई
वर्तमान ही सत्य है
जो हो रहा है
कल कोई आपको याद नहीं रखेंगा
वह परिवार हो 
वह समाज हो
वह व्यक्ति हो
देश हो
सब भूला दिया जाता है
योगदान भूला दिया जाता है
सही है न
    सिकंदर ने पौरंष से की थी लडाई
तो हम क्या करें

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