Thursday 22 September 2022

क्या खोया क्या पाया

क्या खोया क्या पाया
कितना जोडा कितना घटाया
इस खोने - पाने , जोडने - घटाने के चक्कर में 
न जाने कितना कुछ गवाया 
हिसाब - किताब करने बैठेंगे 
तब घाटा ही नजर आएगा 
दशको बीत गए 
संवारने- सुधारने के चक्कर में 
संवार और सुधरा भी
उस बेला में 
जब जाने क्या-क्या पीछे छूट गया 
याद करें उन लम्हों को
तब ऐसा लगता है
रूदन देकर हंसी पाई है
गम देकर खुशी पाई है
अनमोल समय देकर जिंदगी पाई है
यह सौदा कैसा रहा 
घाटे का या फायदे का 
यह अब तक समझ न पाई ।

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