Wednesday 21 September 2022

ज्वेलरी

हाय - हाय रे मजबूरी
नहीं खरीद पाई ज्वेलरी
गई थी तो लेने
मन को भी बहुत सी भाई
एक से एक डिजाइन 
ऑखें भी रह गई भौचक्की 
दाम सुना तब रह गई दंग
इच्छा को मार गई मंहगाई 
मन मारकर घर वापस लौट आई
सोचा कब वह दिन आएगा 
जब दाम नहीं पूछू 
बस हाथ रखू 
और ज्वेलर उसे पैक कर दे
मखमली डब्बे में गुलाबी कागज में लिपटी
शोभा बढाए मेरी अलमारी की
शादी - ब्याह में पहनूँ 
मन भर इतराऊ 
लोगों को बताऊँ 
मेरे पास भी है महंगी ज्वेलरी 
हम भी किसी से कम नहीं। 

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