Saturday 12 November 2022

अधूरा चांद

चांद अधूरा है
फिर भी हमें प्यारा है
पूर्णता की अपेक्षा नहीं 
पूर्ण तो हम भी नहीं 
कोई और कैसे होगा
सिवाय ईश्वर के 
मानव है
कुछ अच्छाई कुछ बुराई
कुछ कमी कुछ कमजोरी 
इन्हीं कमजोरियों के साथ जीते हैं 
कुछ को सुधार करते हैं 
कुछ के साथ चलते हैं 
शायद वह बदलता नहीं 
हम अभिनेता नहीं हैं 
जीवन के रंगमंच पर अभिनय नहीं 
जो हैं उसी के साथ जीना है
हमारा अपना व्यक्तित्व है
हमारा अपना नाम है
हमारा अपना वजूद है
हमारी अपनी खासियत है
ऐसा तो नहीं कि अधूरे चांद का कोई सौंदर्य नहीं होता
वह भी प्यारा ही लगता है
चांदनी और प्रकाश तो वह भी फैलाता है
तारों का समूह उसके साथ भी चलता है
पूर्णिमा का पूरा चांद न सही
कुछ तो हैं 
वह भी कहाँ कम 
उसी में खुश ।

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