Saturday 12 November 2022

चापाकल

यह गाँव है
यहाँ अब भी चापाकल है
जब तक उसे जोर से चलाए नहीं 
पानी नहीं आएगा 
लगता है कुछ कहता है
मैं जिंदगी हूँ साहब
जब तक जोर नहीं लगेगा
प्रयास नहीं होगा
तब तक सफलता हासिल नहीं होगी
आराम से हाथ लगा दो
मैं वह नल नहीं जो पानी दे दूँ 
कहीं नीचे तक गहरा हूँ 
उस गहराई तक पहुंचने के लिए प्रयास तो अवश्य भावी है
अगर जोर नहीं तो मैं वैसे ही खडा रहूंगा
सारे कार्य रूक जाएंगें 
सफल होना है 
तब हाथ - पैर चलाना है
तब देखो 
जीवन के झरने से
कैसे झर झर पानी गिरता है

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