Wednesday 15 March 2023

कब तक दोषी ??

कब तक मैं दोषी बनती रहूंगी 
जब तक बचपन था 
अल्हड़पन था तब तक ठीक था
जैसे ही बडी हुई
सब सिखाने लगें 
बालों में सफेदी आ गई 
सीखना बंद नहीं हुआ 
पहले माँ ने सिखाया 
उसके बाद ससुराल वालों ने सिखाया 
खूब मीन मेख निकाला
कभी नन्द कभी सास कभी जेठानी 
कभी अडोसी पडोसी कभी रिश्तेदार 
पति की तो पूछो ही नहीं 
उनकी नजर में तो हर बात में मैं दोषी
फिर बच्चे बडे हुए
वह भी सिखाने लगे
दोष मढने लगे
आप ने कुछ किया ही नहीं 
माँ का फर्ज नहीं निभाया
हमारी कोई इच्छा पूरी नहीं की
हमको दबाया 
कोई छूट नहीं दी
न घूमने की न पहनने की 
हमसे काम करवया 
उसके बाद बहू की बारी
वह भी कहाँ पीछे रहनेवाली 
भतीजे - भतीजी,  भाभियाँ 
सब तोहमत लगाते हुए 
अब लगता है कि
मैं सच में मूर्ख हूँ 
किसी काम की नहीं 
कोई सहूर नहीं 
न अच्छी बेटी
न अच्छी बहन
न अच्छी बहू
न अच्छी पत्नी 
न अब अच्छी माँ 
और रिश्ते की बात ही छोड़ दे 
लगता है 
यह क्या हो रहा है मेरे साथ 
हमारे साथ ही कि हर औरत के साथ 
सुनना ही उसकी नियति है ??

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