Thursday 16 March 2023

एक समय बाद सबको खत्म होना है

मजबूत भी एक वक्त बाद कमजोर पड जाता है
लोहे को भी जंग लग जाती है
पत्थर भी घिस जाता है
हरे भरे पेड़ भी ठूंठ हो जाते हैं 
मजबूत से दीवारों में भी दरार पड़  जाती है
कभी के शानदार महल खंडहर में तबदील 
कभी का रौनकदार आज वीरान
परिवर्तन तो होना ही है 
सदा एक सा नहीं रहना है 
यह तो सदियों से होता आया है
हम जो पहले थे आज वह नहीं है
सदा से तो ऐसे नहीं थे
जो हमें जानता होगा
जो हमें समझता होगा
वह ही हमें समझ पाएंगा 
बालों में सफेदी ऐसे ही नहीं आती
दांतों का टूटना ऐसे ही नहीं होता
दर्द शरीर में ऐसे ही नहीं होता
ऑखों में ऑसू भी ऐसे ही नहीं आते
मन उदास ऐसे ही नहीं होता
जिस जिंदगी से हमें बहुत प्यार होता है
वह एक दिन भार ऐसे ही नहीं लगने लगती
बहुत कुछ टूटता है
बहुत कुछ दरकता है
वह भी एक दिन में नहीं 
सालोसाल में 
कब तक मजबूत रहेंगे 
कब तक छत हमारा भार ढोती रहेंगी 
एक समय के बाद तो सब ही को खत्म होना है ।

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