Wednesday 31 May 2023

सब छोड़ चल पडी

जाने वाला चला गया
कुछ भूली - बिसरी यादें छोड़ गया
रिश्ता है खून का 
अपनेपन का
भावनाओं का 
सब तोड गया
इस मायामोह को छोड़ गया
जब तक सांस थी तब तक उलझती रही
अपने इर्द-गिर्द रिश्तों का जाल बुनती रही
सफर शुरू किया था अकेले ही
काफिला बनाती गई
आज अंतिम घडी में सब मौजूद है
बेटी - दामाद , बेटा- बहू , नाती - पोते 
पर वह धागा टूट गया 
जो हम सबसे बंधा था
सहोदर भाई - बहन फिर वापस नहीं मिलते 
कितना भी कोई निभाए वैसा मंजर तो फिर नहीं नसीब होता
अपने घर की मुखिया घर को छोड़ गई
हमने देखा है उस जद्दोजहद को
जिंदगी से जूझती हुई 
जिंदगी को संवारती हुई
वही व्यक्ति अब जिंदगी छोड़ गई 
सब रिश्ता तोड़ अनंत में विलीन हो गई
आदराजंली  - श्रदाँजलि 🙏🙏🌹

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