Tuesday 2 May 2023

इंतजार

इंतजार अभी भी है
बरसों बीत गए 
इंतजार की घडी कभी खत्म ही नहीं हुई
शायद अब शायद तब
इस अब - तब में बहुत कुछ छूट गया
कितना कीमती 
कितना बहूमूल्य 
उसका तो हिसाब लगाना थोडा मुश्किल 
जमाना कुछ कहता रहा
हम कुछ करते रहे
नियति अपना खेल करती रही
पीछे मुड़कर देखा 
लगा अभी तो यह कल की ही बात है
इस कल - आज में न जाने कितना कुछ घटा
उस जोड़ और घटा का हिसाब 
कैसे लगाएं 
सब कुछ अंकगणित से नहीं चलता है न
भावना और दिल नाम की भी कोई चीज होती है ना 
टूटे को जोड़ते रहें 
रूठे को मनाते रहें 
अपना दिल मसोसता रहा
बार बार कहता रहा
बस अब बहुत हो चुका 
इससे ज्यादा नहीं 
नहीं तो स्वयं टूट जाओगे 
बिखर कर रह जाओगे 
जो है बाकी 
उसे ही समेट लो 
पता चला इंतजार,  इंतजार ही रह जाएंगा 
बाद में गाना पडेगा
कारवां गुजर गया 
गुबार देखते रहें। 

No comments:

Post a Comment