Sunday 28 August 2016

आया सावन - जीवन का पाठ पढाता सावन

तन बावरा ,मन बावरा ,जब सावन आया हरा भरा
मदमस्त कर रही ये हवा
छा रही काली घटा ,पड रही रिमझिम फुहार
सृष्टि भी मना रही जन्मोत्सव
नवा महीना ,सृजन का महीना
हमेशा सबको रहता है इंतजार
हरियाली ने मखमली सेज बिछाई
त्योहारों की रंगत आई
गया आषाढ आया सावन करता भादों का इंतजार
पेड- पौधे ,पशु- पक्षी सब तृप्त हुए
चिडियॉ चहकने लगी ,कोयल कुहकने लगी
मोर पंख फैला नाचने लगे ,पपीहा पी- पी करने लगा
मेंढक भी टर्राने लगे, कीट- पंतगे भी बोलने लगे
संगीत की लहरियॉ गुंजने लगी
मायके में बेटियॉ आने लगी
परिवार की रंगत खिलने लगी
सब इकठ्ठा हो जश्न मनाने लगे
मन हरा , तन हरा ,प्रकृति का हर अंग हरा
पर यह भी है क्षणभंगुर
शीतल कर जाता और जाते- जाते शीत त्रृतु भी दे जाता
प्रकृति अपना खेल दिखाती
हर चार महीने बाद घर बदलती
जीवन का संदेश सिखाती
नश्वरता का पाठ पढाती
कुछ नहीं यहॉ स्थायी
चाहे वह बचपन हो, युवावस्था हो या वृद्धावस्था
अमरता का वरदान किसी के पास नहीं
काल किसी का मोहताज नहीं
कब कौन- सा करवट ले
यह पाठ भी पढाता जाता सावन

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