Sunday 29 March 2020

घरनी को भी थोड़ी छुट्टी दे दो

सभी को छुट्टी है
सब घर पर बैठे हैं
आराम फरमा रहे हैं
टी वी देख रहे हैं
मोबाइल पर लगे हुए हैं
तब भी बोर हो रहे हैं

ऐसे समय में एक वो ही है
जो बहुत बिजी है
सबकी फरमाइश पूरी कर रही है
किसको यह नाश्ता तो किसको वह
किसी को यह सब्जी पसंद तो किसी को वह
कोई पानी मांग रहा है तो कोई चाय
वह कभी यहाँ तो कभी वहाँ डोल रही है
किचन में तो पैर ही जैसे जम गए हैं
पहले तो दोपहर में आराम कर लेती थी
अब वह भी नहीं

सामान है कि नहीं
राशन पानी का हिसाब लगाती बैठ रही
दूध और सब्जी का लेखा जोखा करती
सबकी तबियत का ध्यान रखती
साफ सफाई से लेकर भोजन
सब उसके जिम्मे
अब तो कामवाली बाई भी नहीं आ रही
वह भी है छुट्टी पर

सभी को छुट्टी
बस एक को नहीं
वह है घरनी
जरा उसका हाथ बटा दो
सब मिल बाट कर काम कर लो
अपने साथ उसे भी आराम दे दो
कभी चाय काॅफी ही बना लो
जरा उसके हाथ में भी पकड़ा दो
थोड़ा टी वी उसे भी दिखा दो

अब तक थे सब घर के बाहर
काम की आपाधापी
अब तो है घर पर बैठे
जरा उसकी भी कदर कर लो
जिसको मिलती कभी न छुट्टी
क्या इतवार क्या कर्फ्यू
सब उसके लिए एक समान
घर को घर समझ लो
घरनी को भी थोड़ी छुट्टी दे दो

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