न जाने कैसे कैसे
हर समय कुछ न कुछ बुनना
नई - नई कहानी
वह भी वैसी
जिसका कोई ओर - छोर नहीं
क्या फिजूल क्या बेकार
न जाने कौन - कौन सी बातें आती बारम्बार
सोचते हैं
कैसे इनसे छुटकारा पाएं
जिद्दी यह भी कम नहीं
डेरा जमाए रहती है
मस्तिष्क ही तो उनका घर
छोड़ कहाँ जाएं
समस्या उनकी भी
समस्या हमारी भी
हम परेशान उनसे
चाहते हैं जी छुड़ाना
यह छोड़ ही नहीं रही
हम भी जी रहे हैं
जीते जी तो लगता है
साथ ही रहेगी
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