Monday 14 November 2016

बेटी को बेटी ही बने रहने दो

यह तो मेरी बेटी नहीं ,मेरा बेटा है
क्यों ,बेटी में क्या कमी है कि उसको बेटा कहा जाय
बेटियॉ तो वैसे ही जिम्मेदार होती है
और प्यारी होती है
अपना घर ,अपने लोग के प्रति उनका जुडाव बेहिसाब होता है
उसकी तुलना बेटे से नहीं की जा सकती
आज बेटियॉ पढ- लिखकर आगे बढ रही है
हर क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है
बेटों से आगे निकल रही है
मॉ- बाप की भी देखभाल कर रही है
अपनी देखभाल कर रही है
अपने पैरों पर खडी हो रही है
स्वावलंबी बन रही है
बिना डर के यात्रा कर रही है
अकेले रह रही है
उसे किसी सहारे की जरूरत नहीं है
रेल ,बस ,ट्रेन और हवाई जहाज चला रही है
अंतरिक्ष पर जा रही है
कबड्डी और कुश्ती जैसे खेल भी खेल रही है
राजनीति और व्यापार भी कर रही है
गर्व से अपना ,परिवार ,समाज और देश का नाम ऊँचा कर रही है
अब केवल खाना पकाना ,सिलाई करना और शादी कर ससुराल जाना
यही नहीं रह गया है
उनको किसी सहारे की नहीं ,वह स्वयं परिवार का सहारा बन रही है
तो उनको बेटी कहने में गर्व महसूस करे
बेटी को बेटी ही रहने दे

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