Wednesday 28 June 2017

मुझे मत काटो

एक आम का पेड बचपन में दरवाजे पर एक सज्जन ने लगाया था
पेड बडा हुआ ,उसके साथ- साथ वह भी बडे हुए
बचपन में पौधे को पानी से सींचकर और चिडियॉ- चुरुंगों की नजर से छिपाकर इसे बडा किया
उसकी डालियों पर झूला भी झूला
उस पर चढ मौज- मस्ती भी की
साथियों के साथ उसके पीछे छिप ऑख- मिचौली का खेल भी खेला
दहकती धूप में उसकी छाया के नीचे बैठ सुस्ताएं भी
फल आने पर खूब उसके फल खाए
सगे संबंधियों को भी खिलाया
कच्चे आमों का अचार भी चटकारे ले - लेकर घर भर ने खाया
आज वे बडे पद पर विराजमान है और कुछ समय बाद ही रिटायर होने वाले हैं
पुरखों का पुराना घर तो जर्जर है
अब नया घर बनवाएगे ताकि सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन आराम से कटे
ठेकेदार को बुला घर कैसे बनाना है यह भी समझा दिया
घर बडा और आलिशान बनाना था
पेड उस निर्माण में आडे आ रहा था
तय हुआ कि पेड काट डाला जाय
वैसे भी अब इसमें पहले जैसी बात नहीं रही
वह भी बूढा हो रहा था
पेड काटने वाले को दूसरे दिन आने के लिए कह दिया
काटने के बाद उसकी लकडी का कितना दाम आएगा
यह भी तय हुआ
अच्छी- खासी रकम भी आ रही था
गर्मी के दिन थे
शाम को द्वार पर खटिया बिछा कर पेड के नीचे लेटे
अचानक नजर ऊपर गई
पेड निशब्द खडा था
उसकी पत्तियॉ भी नहीं हिल रही था
इन्हें महसूस हुआ कि शायद वह उदास है और कुछ कहना चाह रहा है
पर वह तो मूक है ,उसके पास तो शब्द ही नहीं है
बचपन का साथी है उनका
उनका ही लगाया हुआ
पुष्पित और पल्लवित हआ
कहीं वह कुछ गलत तो नहीं कर रहे है
आज यह मुझे बेकार लग रहा है
कल वृद्धावस्था में मेरे बच्चे जिनके लिए घर बना रहा हूँ
वह मेरी उपेक्षा करे तो मुझे कैसा महसूस होगा
उसके आगे की कल्पना से ही वह कॉप उठे
कहीं घर से बेघर कर दिया तो़़़़़़
इसके आगे वह कुछ सोच ही न सके
तुरंत मन में निर्णय लिया
अब यह नहीं कटेगा
घर के अहाते में ही रहेगा
तुरंत जेब से मोबाईल निकाला और काटने वालों को मना कर दिया
तथा ठेकेदार को भी समझा दिया
पेड पर कोई ऑच न आने पाए
अचानक ऊपर से कुछ पत्तियॉ झर पडी शायद पेड उनका धन्यवाद कर रहा हो
बहुत साल बीत गए
बच्चे विदेश में बस गए
पर पेड आज भी उनके साथ खडा है
बुढापे में उनके दोस्तों का अड्डा बन गया है
सुबह का अखबार उसी के नीचे कुर्सी डालकर पढा जाता है
अब भी वह फल दे रहा है
कच्चे आम का अचार डालकर पत्नी बच्चो को जाते समय देती है
पोते- पोती धमाल मचाते हैं और मौज- मस्ती करते हैं
अब महसूस होता है कि कितना गलत कर रहे थे वह
बगिया का माली कभी अपने ही लगाए हुए को नष्ट करता है क्या??
मुस्कराकर वह ऊपर देखते हैं
उसकी डालियॉ हिल रही होती है
मानो सर हिलाकर वह उनका आभार मान रहा हो

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