Friday 5 October 2018

मां तो बस मां होती है

मां तो बस मां होती है
संतान भी संतान ही होती है
सौतेला या गोद लिया नहीं
हम नाम दे देते हैं
माता बनना इतना आसान नहीं
अपना रात -दिन एक कर देती है
वह भी उसका पेट जना न हो
बहुत बड़ा दिल चाहिए
किसी दूसरे के बच्चे को अपना मानना
यशोदा का प्रेम देवकी के प्रेम पर भारी था
कान्हा की मां पागल सदृश्य हो गई
कृष्ण मथुरा भले चले गए
पर मैया यशोदा ने यह कभी माना ही नहीं
क्योंकि उनका सर्वस्व उनका लाल ही था
कुरुक्षेत्र मे अर्जुन को भगवतगीता का उपदेश देते समय भी कहीं न कहीं मैया को भूले नहीं होगे
तभी तो सब समझा लिया लेकिन अर्जुन नहीं समझे
तब कहना पड़ा
जो कुछ हूँ मैं ही हूँ
तू कुछ नहीं कर रहा
सब मैं कर रहा
अर्जुन भी तो परिजनों के प्रेम मे पड़े थे
गोकुल छोडऩे हुये दुख उनको भी हुआ होगा
वे उस मैया के लाल थे
जिसका जीवन ही कृष्ण थे
अतः मां के प्रेम पर अविश्वास नहीं करना चाहिए

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