Thursday 10 January 2019

सेल का जाल

सेल का सब जगह फैला जाल
जहाँ नजर घुमाया
वहाँ सेल ही सेल
अखबार हो या पोस्टर
सब भरे पड़े हैं सेल से
बाजार मे हर दूकान पर
लिखा है
सेल लगा है
यहाँ तक कि ट्रेन मे भी
स्वस्त और मस्त
सस्ता और टिकाऊ
अब सब जगह सेल
तो क्या खरिदे
कहाँ से खरिदे
इसी असमंजस मे पड़ा
आम इंसान
लालच और बचत
के मायाजाल मे जकडा
सेल से खरीद लाता है
ढेर सारा सामान
जरूरत न हो तो भी
महीने के अंत मे बजट हो जाता है गड़बड़ा
और वह रह जाता है
हाथ मलते
सोचता है
कैसे सेल के जाल मे फंस गया
अपनी सुख शांति लूटा बैठा
तौबा इस सेल से
जो कर देती नींद हराम
फुसला - बहलाकर
जकड़ लेती है
और पछतावा होता तो है
पर लालच पीछा नहीं छोडती
कहीं भी देखा
मन उसके पीछे भागा
ऐसा मनमोहक है यह सेल
जिसे देखकर सब होशियारी हो जाती है फेल
हाय।   सेल सेल और सेल

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