Friday 20 September 2019

श्राद्ध का असली कारण

#श्राद्ध_का_असली_कारण

क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवौ के लिए खीर बनाने को कहते थे?
और कहते थे कि कव्वौ को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
*यह है सही कारण।*

तुमने किसी भी दिन पीपल और बड़ के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....
बड़ या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कव्वे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात
कौवे जहां-जहां बीट करते हैं वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं
पिपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन O2  छोड़ता है और बड़ के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कव्वे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भादर महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।
तो इस नयी पीडी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने
कव्वौ के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार
की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवौ की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जायें.......

इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए और
घ्यान रखना जब भी बड़ और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आयेगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।
🙏सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उन पर उंगली उठाओ, जब आपके विज्ञान का वि भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सा चीज खाने लायक है कौन सा नही.. अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजो ऋषि मुनियों के नियमो पे उंगली उठाने के बजाय , उसके गहराई को जानिये🙏

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