Wednesday 21 October 2020

ऑसू मत रोके

यह ऑसू भी अजीब है
कभी भी निकल पडते हैं
खुशी हो तब भी
दुख हो तब भी
परेशानी हो तब भी
अकेलापन हो तब भी
यह हमेशा साथ रहते हैं
जब शब्द असमर्थ हो जाते हैं
तब ऑसू काम आते हैं
सबके सामने भी
अकेले में भी
दिन में भी
सुनसान रात में भी
यह दोनों ऑख से बहते हैं
बराबर ही
यह न हो तो तब क्या होता
यह जब बहते हैं
तब कुछ सुकून तो मिलता ही है
कुछ ही पल के लिए
इनको रोकना नहीं
रोना शर्म की बात नहीं
आपकी भावना को दर्शाता है
आपके पास एक दिल है
अपने ऑसू को मरने मत दीजिए
नहीं तो आप पत्थर हो जाएंगे
छूट दे भरपूर
जब दिल भर आए
रो ले जी भर कर
यही तो है
आपके सुख दुःख के साझीदार
ऑसू मत रोके बह जाने दे

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