Saturday 28 November 2020

रिटायरमेंट की बेला

चेहरे पर मुस्कान
मन में उदासी
है बिदाई की बेला
जीवन का अनमोल समय
जहाँ किया समर्पण
आज वहाँ से  नाता खत्म करना है
36 साल का नाता खत्म
इतना आसान नहीं
सब यादों में रचे - बसे रहेंगे
वह रूतबा वह ओहदा
अब फिर न मिलेंगा दोबारा
वह दोस्तों का साथ
वह हंसना - खिलखिलाना
वह क्रोध और खीझ
वह अपनापन वह रौब
वह आर्डर और आदेश
सब कुछ अब यही रह जाएंगा
अपने एक मन को यही छोड़ जाऊंगा
आप लोग तो अपनों से बढकर
उसकी जगह कौन ले पाएंगा
यह सम्मान यह प्यार
उधार रहा
यह कर्ज तो मैं ताउम्र न चुका पाऊँगा
अलविदा दोस्तों
तुम्हारी याद तो साथ लिए जाता हूँ
इतनी गुजारिश है
तुम लोग भी मुझे कभी-कभी याद कर लेना
मेरे पास तो यादों का पिटारा रहेंगा
जब जब याद आएगी
खोल कर झांक लूँगा
उस समय को याद कर
हौले से मन ही मन मुस्करा दूंगा

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