Wednesday 28 April 2021

वसुधैव कुटुंबकम

मुझे मेरा देश प्यारा लगता है
मुझे  मेरा प्रान्त प्यारा लगता है
मुझे मेरा गाँव  प्यारा  लगता है
मुझे  मेरा शहर प्यारा लगता है
मुझे  मेरी गली प्यारी  लगती है
मुझे  उस गली के छोर पर बना घर प्यारा लगता है

इन सबसे एक लगाव है दिल से
जहाँ  एक अपनेपन की खुशबू  बसती है
एक सुकून  सा मिलता है
लगता है यह अपना है
पडोसी  , रिश्तेदार , पाठशाला  , बनिये की दुकान
यह सब परिचित है
यहाँ  तक  कि  दूधवाला , फूलवाला माली  , पाव और ब्रेड वाला , वाॅचमैन  , सब्जी वाला
सबसे एक लगाव सा है
कहीं  न कहीं  अपने लगते हैं

सही भी है
ये वह सहयात्री  हैं  जो जीवन को आसान  बनाते हैं
हर जरुरते  पूरी करते हैं
इनके  बिना काम  नहीं  चल सकता

देखा जाए  तो हम  मानव  हैं
सब एक - दूसरे से जुड़े  हुए हैं
पूरा विश्व  ही हमारा है
कोई  किसी से अलग नहीं  रह सकता
सब एक - दूसरे से बंधे  हुए  हैं
कोई  किसी  से तो कोई  किसी से
कितने भी आत्मनिर्भर  बन जाएं
फिर भी कहीं  न कहीं 
कुछ  हद तक दूसरों  पर रहना ही पडेगा

वैसे  भी हमारा स्वभाव  है
अकेला रहना हमें  भाता नहीं
जो मजा  सबके साथ है वह अकेले में  कहाँ??
वसुधैव कुटुंबकम

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