Wednesday 13 July 2022

सबको स्पेस मिले

तीन दोस्त मिले 
दिल भी खिले
एक ही पौधा 
तीनों लहलहा रहे
एक ही मिट्टी में सब बडे
एक ही माँ के जाये 
सबको खिलने का हक
सबको स्पेस मिले तो कोई क्यों न फले - फूले
ऐसा होता नहीं न
एक - दूसरे को पीछे करने की होड में 
कमतर आकने में 
मीनमेख निकालने में 
उम्र बीत जाती है
बाद में सोचते रह जाते हैं 
ऐसा होता तो
वैसा होता तो
वह हुआ नहीं न

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