Monday 22 August 2022

सीनियर सीटिजन की व्यथा

सीनियर है
रिटायर है
बेकार है
बस रोटियाँ तोड़ना है
बैठे बैठे टोकना है
हर बात में दखलंदाजी करना है
हर बात जानना है
क्या करोगे 
यह सब करकर 
बहुत हो चुका 
अब छोड़ दो सब
माया मोह में क्यों फंसे हो
आराम करो
चुपचाप पडे रहो 
यही तो नहीं होता भाई
इसी माया मोह में फंस कर जिंदगी बिता दी
हर जोड तोड़ और जद्दोजहद की
तब आज इस मुकाम पर
मन का वह कीडा जो है न
कुलबुलाता है
गलत होते देख नहीं सकता
सब जानना चाहता है 
सचेत करना चाहता है
अपने अनुभव साझा करना चाहता है
सबके साथ मिलकर हंसना और बतियाना चाहता है
अलग थलग और चुपचाप पडे रहना नहीं चाहता
सहभागी होना चाहता है
वह पत्थर की मूर्ति नहीं है
जिसे एक जगह बिठा दिया जाएं 
भावनाओं से ओतप्रोत जीता - जागता हाड - मांस का इंसान है
बूढा हो गया है
कमजोर हो गया है
सांस नहीं रुकी है
वह गतिमान है
नौकरी से रिटायर है जिदंगी से नहीं 

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