Wednesday 31 August 2022

बेटी आई है

बेटी आई है
रौनक आई है
खुशियाँ आई है 
लक्ष्मी आई है
तब जी भर कर स्वागत 
उसे दुर्गा बनाना है अबला नहीं 
वह किसी से कम नहीं 
यह भी जताना है
क्या फर्क है
संतान तो संतान है
हमारा ही अंश है
उसके सपने हमारे सपने 
हमारा अभिमान है वह
हमारी शान है वह
उसे देखकर कहें लोग
वह देखो 
बेटी का बाप जा रहा है
उसके नाम से पहचाने जाएं 
तब तो उसके लिए 
वह सब करना होगा
जिसकी वह हकदार है
अधिकार भी समान
कर्तव्य भी समान
बेटा - बेटी भी समान 

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