Tuesday 27 June 2023

पक्की सडक

अब गाँव में कच्ची सडके नहीं है
सब पक्की बन गई है
पहले जिस पर बैलगाड़ी और इक्का चलते थे
साईकिल और पैदल चलते थे
आज उस पर फर्राटेदार गाडिया और बाइक दौड़ रही है
कितना सब कुछ आसान नहीं हो गया है
अब समय नहीं लगता
यही सडक हमें शहर तक पहुंचाती है
गाँव से लेकर शहर की दूरी हमने माप ली
हम वह गाँव ही छोड़ चले
पगडंडियाँ भूल गए 
अब मिट्टी नहीं लगती पैर में 
अब उबड खाबड़  नहीं सब समतल है
लेकिन इन्हीं पगडंडी और कच्चे रास्ते पर चलकर हम बडे हुए हैं 
सडक तो बनी गाँव छूट गया 
सबको लेकर जा रही है यह सडक 
धीरे-धीरे गाँव खाली हो रहे हैं 
घर वीरान हो रहे हैं 
कमाने और बडा बनना है सबको
इसमें एक भूमिका इस पक्की सडक की भी है
मन को पक्का बना लिया 
सब छोड चले ।

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